॥ श्रीशिवपञ्चाक्षरस्तोत्रम् ॥
पंचाक्षर स्तोत्र संस्कृत का एक स्तोत्र है। इस स्तोत्र के रचयिता श्री आदि शंकराचार्या जी हैं जो महान शिव भक्त, धर्म प्रवर्तक तथा अद्वैतवादी थे।जो कोई व्यक्ति शिव के पंचाक्षर मंत्र का नित्य ध्यान करता है वह शिव के
पुण्य लोक को प्राप्त करता है तथा शिव के साथ सुख पूर्वक निवास करता है। शिव चतुर्दशी के दिन विधिपूर्वक व्रत रखकर शिव पूजा-स्तोत्रों का पाठ तथा शिवकथा भी पढ़ना लाभदायी रहता है। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कई स्तुतियों की रचना प्राप्त होती हैं। इन सभी में “श्री शिव पंचाक्षर स्त्रोत” एक महत्वपूर्ण मंत्र है। इसका प्रतिदिन जाप करने से भगवान शंकर शीघ्र ही प्रसन्न हो जाते हैं तथा महादेव का आशिर्वाद प्राप्त होता है।:
नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय,
भस्माङ्गरागाय महेश्वराय ।
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय,
तस्मै न काराय नमः शिवाय ॥१॥
Nagendra-haray Trilochnaya
Bhasm-angragay Maheshwraye
Nityaye Shudhaye Digambraye
Tasme N Karaye NamaH Shivaya
जिनके गले में नागराज हार रूप में विद्यमान हैं, हे तीन नेत्रों वाले!
हे श्मशान भस्म को धारण करने वाले, हे महेश्वर!
नित्य और शुद्ध हैं, अंबार को वस्त्र के रूप में धारण करने वाले दिगंबर,
आपके "न" अक्षर द्वारा जाने वाले स्वरूप को नमन् है।
हे श्मशान भस्म को धारण करने वाले, हे महेश्वर!
नित्य और शुद्ध हैं, अंबार को वस्त्र के रूप में धारण करने वाले दिगंबर,
आपके "न" अक्षर द्वारा जाने वाले स्वरूप को नमन् है।
मन्दाकिनी सलिलचन्दन चर्चिताय,
नन्दीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय ।
मन्दारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय,
तस्मै म काराय नमः शिवाय ॥२॥
नन्दीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय ।
मन्दारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय,
तस्मै म काराय नमः शिवाय ॥२॥
Mandakini Salil-chandal Charchitaya
Nandi-shwar Pramath-nath Mahesh-vraya
Mandae-pushp bahu-pushap supuji-taya
Tasme M Karaya NamaH Shivaya
हे गंगा को धारण करने वाले! हे चंदन से लिप्त!
हे नंदी आदि गणो और भूत-प्रेतों से स्वामी! हे महेश्वर!
हे गंगा को धारण करने वाले अनेकों फूलों से पूजित हैं
हे शिव ! आपके "म" अक्षर द्वारा जाने वाले रूप को प्रणाम है
हे नंदी आदि गणो और भूत-प्रेतों से स्वामी! हे महेश्वर!
हे गंगा को धारण करने वाले अनेकों फूलों से पूजित हैं
हे शिव ! आपके "म" अक्षर द्वारा जाने वाले रूप को प्रणाम है
शिवाय गौरीवदनाब्जवृन्द,
सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय ।
श्रीनीलकण्ठाय वृषध्वजाय,
तस्मै शि काराय नमः शिवाय ॥३॥
सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय ।
श्रीनीलकण्ठाय वृषध्वजाय,
तस्मै शि काराय नमः शिवाय ॥३॥
Shivaya Gauri-vadna-bj-vrind
Suryaya Daksh-dhwr-nashkaya
Tasme Shi Karaya NamaH Shivaya
माँ गौरी के मुख कमाल को सूर्य के समान तेज प्रदान करने वाले,
दक्ष के दंभ युक्त यज्ञ का विनाश करने वाले,
श्री नीलकंठ भगवान, धर्म-ध्वज-धारी,
श्री नीलकंठ भगवान, धर्म-ध्वज-धारी,
आपके "शि" अक्षर द्वारा जाने वाले रूप को प्रणाम है।
वसिष्ठकुम्भोद्भवगौतमार्य,
मुनीन्द्रदेवार्चितशेखराय।
चन्द्रार्क वैश्वानरलोचनाय,
तस्मै व काराय नमः शिवाय ॥४॥
मुनीन्द्रदेवार्चितशेखराय।
चन्द्रार्क वैश्वानरलोचनाय,
तस्मै व काराय नमः शिवाय ॥४॥
Vashisth-Kumbho-dBhav-gautmarya
Munindr-devarchit-shekraya
Tasme V Karaya NamaH Shiavaya
हे शिव! आप देवगण एवं ऋषि वसिष्ठ, अगस्त्य, गौतम आदि ऋषि मुनियों द्वारा पूजित हैं,
सूर्य, चंद्र और अग्नि आपके तीनो नेत्रों के समान हैं
हे शिव! आपके "व" अक्षर द्वारा जाने वाले रूप को प्रणाम है।
हे शिव! आपके "व" अक्षर द्वारा जाने वाले रूप को प्रणाम है।
यक्षस्वरूपाय जटाधराय,
पिनाकहस्ताय सनातनाय ।
दिव्याय देवाय दिगम्बराय,
तस्मै य काराय नमः शिवाय ॥५॥
पिनाकहस्ताय सनातनाय ।
दिव्याय देवाय दिगम्बराय,
तस्मै य काराय नमः शिवाय ॥५॥
Yaksh-Svaroopaya Jata-Dharaya
Pinak-hastaya Sanatnaya
Diwyaya Devaya Digambraya
Tasme Y Karaya NamaH Shivaya
हे यक्ष स्वरूप, जटाधारी शिव,
त्रिशूल धारी, हे सनातन, !
हे दिव्य अंबर धारी शिव !
आपके 'य' अक्षर द्वारा जाने जाने वाले स्वरूप को नमस्कार है।
त्रिशूल धारी, हे सनातन, !
हे दिव्य अंबर धारी शिव !
आपके 'य' अक्षर द्वारा जाने जाने वाले स्वरूप को नमस्कार है।
पञ्चाक्षरमिदं पुण्यं यः पठेच्छिवसन्निधौ ।
शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते ॥
शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते ॥
Pachakshara-midam Punyam yH Pathe-chiva-snnidhau
Shiv-lok-mwa-pan-noti Shivan Sah Modte
जो भी इस पञ्चाक्षरस्त्रोत का पाठ
भगवान शिव के समीप करता हैं
वह शिवलोक को प्राप्त होता हैं
और भगवान शिव के साथ सुख पूर्ण निवास करता है।
भगवान शिव के समीप करता हैं
वह शिवलोक को प्राप्त होता हैं
और भगवान शिव के साथ सुख पूर्ण निवास करता है।
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