"यस्य निश्वसितं वेदा यो वेदेभ्योऽखिलं जगत् ।
निर्ममे तमहं वन्दे विद्यातीर्थमहेश्वरम् ॥" (ऋग्वेद)
निर्ममे तमहं वन्दे विद्यातीर्थमहेश्वरम् ॥" (ऋग्वेद)
Yasya Nisvasitaṁ veda yo vedebhyo khilam Jagat |
Nirmame Tam-aham Vande Vidya-tirtha-mahesvaram ||
वेद जिनके विश्वास हैं और जिन्होंने वेदों के द्वारा इस सृष्टि सा सृजन किया, जो योग और मंत्र आदि विद्याओं के तीर्थ हैं ऐसे भगवान महेश्वर (शिव) की मैं वंदना करता हूँ|